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बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान से जुड़ी एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट अगले सप्ताह सुनवाई करेगा. एक वकील ने याचिका दाखिल कर मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट मामले पर खुद संज्ञान लेकर सुनवाई करे.

याचिका दाखिल करने वाले वकील नरेंद्र मिश्रा ने जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामला रखा. उन्होंने कहा कि निशिकांत दुबे पर अवमानना का मुकदमा चलाने के लिए कई लोगों ने अटॉर्नी जनरल से अनुमति मांगी है, लेकिन अभी तक उन्होंने फैसला नहीं लिया है.

नरेंद्र मिश्रा ने यह भी कहा कि निशिकांत दुबे के बयान के क्लिप सोशल मीडिया पर मौजूद हैं. लोग उससे प्रभावित होकर सुप्रीम कोर्ट के बारे में अपमानजनक टिप्पणियां कर रहे हैं. सरकार ने क्लिप को हटाने के लिए कुछ नहीं किया है. नरेंद्र मिश्रा ने बताया कि उन्होंने एक याचिका दाखिल की है. इस पर जस्टिस गवई ने याचिका को अगले सप्ताह सुनवाई के लिए लगाने का निर्देश दिया.

ध्यान रहे कि कंटेम्प्ट ऑफ कोर्ट एक्ट, 1971 की धारा 15(1)(b) और अवमानना मामलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के 1975 के रूल्स के नियम 3(c) में प्रावधान है कि अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल की सहमति से सुप्रीम कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चल सकता है. कई वकीलों ने अटॉर्नी जनरल या सॉलिसिटर जनरल को अनुरोध भेजा है, लेकिन नरेंद्र मिश्रा ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट खुद संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू करे.

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर कानून कोर्ट बनाएगा तो संसद को बंद कर देना चाहिए. उन्होंने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर कहा था कि वह देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं. इसे लेकर कई वकील चाहते हैं कि निशिकांत दुबे के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का मुकदमा चले.

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