जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान डिपोर्ट किए जा रहे 6 लोगों के एक परिवार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है. याचिका में कहा गया है कि उनके पास आधार, पैन कार्ड, पासपोर्ट जैसे दस्तावेज हैं. याचिकाकर्ता की तरफ से जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच के सामने मामला रखा गया. उन्होंने शुक्रवार को सुनवाई की बात कही.
बेंगलुरु में रह कर नौकरी कर रहे अहमद तारिक बट ने कहा है कि उन्हें और उनके परिवार के बाकी 5 सदस्यों को श्रीनगर के फॉरेन रजिस्ट्रेशन ऑफिस से पाकिस्तान जाने का नोटिस मिला. 29 अप्रैल को 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया. अब उन्हें भारत-पाकिस्तान सीमा पर ले जाया गया है. वहां से उन्हें किसी भी समय पाकिस्तान भेज दिया जाएगा.
अहमद तारिक बट ने अपने पिता मशकूर बट, मां नुसरत बट, बड़ी बहन आयशा तारिक बट, छोटे भाई अबूबकर बट और दूसरे छोटे भाई उमर बट की गिरफ्तारी को अवैध बताया है. याचिका में कहा गया है कि 1997 में मशकूर बट पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के मीरपुर से भारत आए थे. 2000 में परिवार के बाकी सदस्य भी भारत आ गए. तब से वह लोग श्रीनगर में रह रहे हैं.
याचिकाकर्ता ने कहा है कि उन्होंने, उनकी बहन और भाइयों ने श्रीनगर के स्कूल में पढ़ाई की. उन्होंने आईआईएम केरल से एमबीए की डिग्री ली और बेंगलुरु में नौकरी की. वह अभी भी बेंगलुरु में रहते हैं. उनके परिवार के सदस्यों के पास आधार कार्ड और पैन कार्ड जैसे दस्तावेजों के अलावा भारतीय पासपोर्ट भी है. इस तरह अचानक उन्हें गैर-भारतीय बता कर पाकिस्तान भेजना गलत है.
याचिकाकर्ता ने अपने परिवार को भेजे गए नोटिस को निरस्त करने और गिरफ्तारी को अवैध करार देने की मांग की है. सुप्रीम कोर्ट में हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्य कांत की अध्यक्षता वाली बेंच ने उनके वकील को शुक्रवार, 2 मई को अपनी बात रखने को कहा. जस्टिस सूर्य कांत ने वकील को सलाह दी कि वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के उस आदेश को देखें जिसमें इसी तरह के मामले में एक परिवार के भारत से निर्वासन पर रोक लगाई गई है.
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