Supreme Court on Nishikant Dubey: सुप्रीम कोर्ट ने भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की आलोचना की है. कोर्ट ने न्यायपालिका के बारे में निशिकांत के बयान को गैरजिम्मेदाराना बताया है. हालांकि, कोर्ट ने अपनी तरफ से अवमानना का मुकदमा शुरू करने से मना किया.
निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट और CJI पर की विवादित टिप्पणी
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करते हुए कहा था कि अगर कानून कोर्ट बनाएगा तो संसद को बंद कर देना चाहिए. इसके अलावा उन्होंने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना का नाम लेकर कहा था कि वह देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार हैं. इसे लेकर कोर्ट में एक याचिका दाखिल हुई थी. इस याचिका में निशिकांत पर अवमानना का मुकदमा शुरू करने और भड़काऊ बयान देने के लिए FIR दर्ज कराने की मांग की गई थी.
SC ने दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका को किया खारिज
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने वकील विशाल तिवारी की याचिका को खारिज कर दिया है. लेकिन अपने लिखित आदेश में जजों ने मामले को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं. कोर्ट ने कहा है, “यह बयान संवैधानिक न्यायालयों के कामकाज के प्रति उनकी अज्ञानता को दिखाता है. उन्हें नहीं पता कि संविधान ने कोर्ट के लिए क्या कर्तव्य तय किए हैं.”
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या लिखा?
कोर्ट ने आदेश में लिखा, “निशिकांत का बयान न्यायपालिका को विवादों में डालने वाला है. इस तरह का बयान न्यायिक कार्य में बाधा पैदा करने वाला हो सकता है. अदालतें आलोचना से परे नहीं हैं. संविधान भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार का दर्जा देता है. लेकिन कोर्ट की अवमानना के मामलों में यह अधिकार लागू नहीं होता.”
कोर्ट ने कहा, “चीफ जस्टिस का नाम लेकर उन्हें देश में गृह युद्ध के लिए जिम्मेदार बताना दिखाता है कि बयान देने वाले का मकसद जज को पक्षपाती बताना है.” कोर्ट ने यह भी कहा, ”न्यायपालिका कोई कोमल फूल नहीं है जो ऐसे बेतुके बयानों से बिखर जाएगी. अदालतों के प्रति लोगों का विश्वास बहुत मजबूत है. हालांकि, इसमें कोई संदेह नहीं कि बयान देने वाले का उद्देश्य न्यायपालिका के प्रति अविश्वास फैलाना था.”